5 Simple Techniques For Hindi poetry
5 Simple Techniques For Hindi poetry
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कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख click here पिएँ!
पाप अगर पीना, समदोषी तो तीनों - साकी बाला,
यम ले चलता है मुझको तो, चलने दे लेकर हाला,
वही वारूणी जो थी सागर मथकर निकली अब हाला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
शेख, कहाँ तुलना हो सकती मस्जिद की मदिरालय से
हो सकते कल कर जड़ जिनसे फिर फिर आज उठा प्याला,
पीकर जिसको चेतनता खो लेने लगते हैं झपकी
साथ इन्हें भी ले चल मेरे न्याय यही बतलाता है,
एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
पीड़ा, संकट, कष्ट नरक के क्या समझेगा मतवाला,
मेरी जीव्हा पर हो अंतिम वस्तु न गंगाजल हाला,
जाति प्रिये, पूछे यदि कोई कह देना दीवानों की धर्म बताना प्यालों की ले माला जपना मधुशाला।।८५।
मदिरालय में कब से बैठा, पी न सका अब तक हाला,
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